मई, 12, 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ (Atmanirbhar Bharat Abhiyan) (Self Reliant India Campaign) का पूरे भारत से आव्हान किया था । इसके अलावा उन्होंने ‘Vocal for Local’ का भी आव्हान किया है, जिसका अर्थ है, जितना अधिक हो सके, अब हम भारत में निर्मित वस्तु ही खरीदें एवं मेड इन चाईना को सदा के लिए अलविदा कह दें । इस आव्हान में चीन में निर्मित या अन्य विदेशी वस्तुओं एवं सेवाओं की जगह भारत में निर्मित वस्तएं एवं सेवाएं ही खरीदे की बात कही गई है । इस आव्हान में उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही है वह एक बहुत बड़ा राहत पैकेज है, जोकि बीस लाख करोड़ रूपये का है । यह रकम हमारी जीडीपी का 10% होगा । प्रधानमंत्री के अनुसार यह राशि अधिकतर जिन क्षेत्रों पर खर्च की जाएगी, उनके चार सूत्र हैं, Land, Labour, Liquidity and Laws. यदि बाहर से कोई विदेशी कंपनी भारत में इंडस्ट्री लगाने आती है या फिर भारत की कोई कंपनी इंडस्ट्री लगाती है तो उनकी सहायता के लिए जमीन (Land) पर इस रकम को खर्चा जा सकता है । (Labour) मजदूरों की राहत देने संबंधी चीजों पर भी यह रकम खर्च हो सकती है । (Liquidity) तरलता यानि बाजार या बैंकों में पैसे डालकर राहत दिया जा सकता है, जिसके ऐलान रिजर्व बैंक पहले ही कर चुका है । (Laws) कानूनों की सरलता की जा सकती है, जिस तरह विधेयक जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार इसकी शुरूआत कर चुकी है । यह आई. एम. ऐफ. के द्वारा जारी आंकड़ों की बात की जाए तो भारत जीडीपी के मामले में पूरे विश्व में इस समय पाँचवे स्थान पर है, जिसकी कीमत लगभग तीन सौ लाख करोड़ डॉलर है । इसके अलावा कोविड 19 से लड़ने के लिए जिन देशों ने अपने नागरिकों के लिए राहत पैकेज के ऐलान किए हैं, उनमें सबसे प्रथम स्थान पर नाम आता है जापान का । जापान की जीडीपी विश्व में तीसरे स्थान पर है, जिसकी कुल कीमत है लगभग पाँच सौ लाख करोड़ डॉलर और उन्होंने अपनी जीडीपी के कुल 20% हिस्से जितना राहत पैकेज में देने का ऐलान किया है । इसके अलावा विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमरीका ने भी अपनी जीडीपी का 13% राहत पैकेज के रूप में देने का ऐलान किया है । लेकिन विश्व से टॉप 12 देश जिन्होने बड़े – बड़े पैकेज ऐलान किए हैं, उनमें सभी विकसित देश हैं, सिवाए भारत के । विकासशील देश होने के बावजूद भी भारत ने इतनी बड़ी रकम का ऐलान किया है और यह अपने आप में काफी जोखिम भरा, लेकिन बहादुरी वाला निर्णय है ।
(इस लेख को वीडियो में देखने के लिए इस लिंक पर जाएं https://www.youtube.com/watch?v=bhWTXIg6RZE&t=23s)
इससे पहले भी भारतीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा एक राहत पैकेज का ऐलान किया गया था, जो गरीब कल्याण योजना से जाना जाता है और उसकी कुल कीमत थी 1.7 लाख करोड़ रूपये । इस पैकेज में गरीब लोगों को राशन, महिलाओं को 500 – 500 रुपये, बुजुर्गों को 1000 – 1000 रुपये देने की बात कही गई थी । इसके अलावा रिजर्व बैंक पहले ही सस्ते दरों पर ब्याज देने की बात कर चुका है, जोकि करीब 06 लाख करोड़ के थे । यह दोनों उपरोक्त स्कीमों की कुल कीमत करीब 08 लाख करोड़ रुपये होती है और यह हमारी जीडीपी का 4% होती है । यह 4% या 08 लाख करोड़ रुपये भी उसी पैकेज में शामिल होंगे, जोकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ऐलान किए थे । इसके अलावा जो बाकि के पैकेज ऐलान किए जाएंगे वे 12 लाख करोड़ रुपये के होंगे, जोकि 06% रकम होगी ।
तो अब सवाल उठता है कि इतना सारा रुपया भारत सरकार लाएगी कहाँ से ? क्योंकि हमारे जैसे देश के लिए यह एक बहुत बड़ी रकम है जिसे राहत कार्यों में लगाया जाए, जबकि पिछले दो माह से अधिक समय से पूरा देश लॉकडाउन में बिना किसी कमाई के जी रहा है । और इसी लॉकडाउन के कारण सरकार के पास करीब 04 लाख करोड़ रुपये नहीं आ सके हैं । इसके अलावा जीवन बीमा निगम के कुछ शेयर बेच कर भी सरकार को बड़ी राशि हासिल होने वाली थी, उसे भी सरकार ने बाद में करने का ऐलान किया है, तो अभी वहाँ से कुछ नहीं आने वाला है । तो इस बातों का उत्तर है भारत सरकार वित्त वर्ष 2020 – 21 में करीब 12 लाख करोड़ रूपये उधार लेगी, जिसका सरकार पहले ही ऐलान भी कर चुकी है । लेकिन यह उधार सरकार कहाँ से लेगी और इसकी विधि कैसी होगी, इसका ऐलान अभी तक नहीं किया गया है । यह किसी प्रकार का बॉंड जारी कर उसे सीधे लोगों को बेचना भी हो सकता है या फिर रिजर्व बैंक द्वारा पैसा लिया जा सकता है । सरकार रिजर्व बैंक को नोट छाप कर उसे सरकार को सौंपने को कहा जा सकता है । लेकिन अधिक मात्रा में नोटों को छापना अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ही घातक सिद्ध हो सकता है । जिंबाब्वे और वेनेजुएला इसके बेहतरीन उदाहरण हैं । जिसका अर्थ है कि सरकार बॉंड जारी करने की ओर ही कदम बढ़ा सकती है ।
यह केवल राहत पैकेज नहीं बल्कि प्रोत्साहन पैकेज भी है, जोकि छोटे घरेलू उद्योग, MSMEs, मध्यम वर्ग को लोग, और अन्य उद्योगों को कई प्रकार के राहत दिए जा सकते हैं, जिसमें MSMEs और लघु उद्योग सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं । इसमें बिजली, पानी, आदि जैसी मूलभूत सुविधाएं भी इसमें शामिल होंगी । और इसके लिए सरकार ने संकेत दिए हैं कि जो नए निवेश देश में आएंगे, वे शायद टैक्स फ्री हो सकते हैं ।
लेकिन इस सब चीजों के कारण देश का Debt to GDP ratio बढ़ सकता है, जोकि इस समय 2/3 है, यानि की सरकार के ऊपर इस समय दो खरब डॉलर से अधिक का ऋण है । इस कारण से भारत की वैश्विक रेटिंग कम हो सकती है, जिससे जो निवेशक हैं उनके भारत आने में कमी हो सकती है । लेकिन यदि भारत में निर्मित वस्तु एवं सेवाएं भारतीयों को मिलती हैं तो इससे मंहगाई बढ़ने की अधिक संभावना निकट भविष्य में तो नहीं है, किंतु लंबे समय में इसके कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जोकि समय समय पर सही नीतिगत निर्णयों के द्वारा ठीक भी किए जा सकते हैं ।
आशा है कि भारत सरकार का यह कदम भारत के लिए अच्छे भविष्य का निर्माण करेगा और चीन के विरुद्ध जिस अवसर की भारत को तलाश थी, वह यही हो । साथ ही जितना शीघ्र भारतवासी भी सरकार का सहयोग करेंगे एवं कोरोना वायरस की जितनी शीघ्र काट मिलेगी उतना ही यह भारत एवं पूरे विश्व के लिए अच्छा होगा ।
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