अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत रुसी S-400 को खरीदने की तरफ बढ़ा आगे।
अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद भारत रूस से एडवांस S-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम के लिए तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। सितंबर-अक्टूबर में शुरू होने वाली डिलीवरी से पहले, भारतीय वायुसेना की एक बड़ी टीम इस महीने के अंत में रूस के लिए रवाना होगी।
अक्टूबर 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर यानि करीब 40,000 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के तहत S-400 एयर डिफेन्स सिस्टम के सभी पांच मोबाइल स्क्वाड्रन, अप्रैल 2023 तक भारत डिलीवर किये जायेंगे। S-400 सिस्टम हाइली ऑटोमेटेड सिस्टम हैं, जो 400 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के बमवर्षक एयरक्राफ्ट, जेट्स, जासूसी विमानों, मिसाइलों और ड्रोन को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम हैं, जिन्हें चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमा में देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिये तैनात किया जाना है।
बड़े पैमाने पर S-400 सिस्टम की ऑपरेशन और रख – रखाव की ट्रेनिंग के लिए लगभग 100 अधिकारियों और एयरमैन की एक शुरुआती टीम जनवरी के आखिरी सप्ताह में रूस के लिए रवाना होगी। वहीं एक दूसरी IAF की टीम कुछ महीनों के बाद इसको फॉलोउप करेगी। इस सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने वाली डिलीवरी के साथ, पहला S-400 स्क्वाड्रन भारत में 2021 तक या 2022 की शुरुआत में ऑपरेशनल हो जायेगा। S-400 भारत की एयर डिफेन्स क्षमताओं में क्रांति लाएगा, इसमें 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर की दूरी से टारगेट करने वाली मिसाइलों के साथ-साथ इसमें कमांड पोस्ट सिस्टम, लॉन्चर, रडार, और ऑल-टेरेन ट्रांसपोर्टर-इरेक्टर व्हीकल भी लैस हैं।
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S-400 सिस्टम की हर एक बैटरी में 128 मिसाइलें हैं, जो ऑटोमेटिकली किसी भी एरियल खतरे से निपटने के लिये बेस्ट सूटेड मिसाइल को लांच कर सकती हैं। इसका रडार 600 किलोमीटर की रेंज में, एक साथ सैकड़ों टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है। रूस का दावा है S-400 4,800 मीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से आगे बढ़ते हुए बैलिस्टिक मिसाइलों को भी रोक सकता है और साथ ही यह पांचवी पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट जैसे अमेरिकी F-35 लाइटनिंग-II को भी "रडार लॉक और शूट डाउन" कर सकता है।
अमेरिका में बाइडेन के आने से भारत को उम्मीद है कि भारत को अमेरिकी CAATSA कानून से कुछ छुट दी जाएगी। CAATSA कानून को रूसी हथियार और ईरानी तेल खरीदने से देशों को रोकने के लिए 2017 में लागू किया गया था। S-400 सिस्टम को खरीदे जाने के बाद अमेरिका ने चीन और टर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये हैं। भारत को उम्मीद है बाइडेन सरकार भारत को इस प्रतिबन्ध से दूर रखेगी।
तेजस Mk1A के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर हुए तैयार, ASRAAM और अस्त्रMk1 स्टैंडर्ड एयर टू एयर मिसाइल भी रेडी
कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस Mk1A के नये स्ट्रक्चरल डिजाईन का काम पूरा हो गया है। भारतीय वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के बीच HAL के साथ 83 तेजस Mk1A जेट के डील की कन्फर्मेशन के बाद, एक मीडिया इंटरव्यू में HAL के अध्यक्ष आर माधवन ने कहा है कि एयरक्राफ्ट रिसर्च डिजाईन सेंटर ने नए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस Mk1A के नये स्ट्रक्चरल डिजाईन के काम को पूरा कर लिया है। ये नयी डिजाईन जिसमें इलेक्ट्रिकल वायरिंग, कूलिंग सिस्टम भी शामिल हैं, इसके बेहतर ऑपरेशन और रख रखाव को मजबूती देंगे।
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HAL ने इन सभी डिजाईन मॉडिफिकेशन की टेस्टिंग के लिये, दो लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन तेजस Mk1A को टेस्टबेड की तरह इस्तेमाल किया है। तेजस Mk1A जेट को हल्का बनाने की जिम्मेदारी HAL को दी गयी है,। इस फाइटर एयरक्राफ्ट में से कई अनयूज्डवेट को हटाया गया है, ताकि नए सिस्टम और सेंसर जैसे कि AESA रडार, EW सूट, DMG को इंस्टाल किया जा सके। साथ ही इसमें डिजिटल फ्लाइट कण्ट्रोल कंप्यूटर को भी इंस्टॉल किया गया है, जो इस फाइटर जेट की कंप्यूटिंग पॉवर को मेजर बूस्ट देंगे।
तेजस Mark1 की डिलीवरी कॉन्ट्रैक्ट की तारीख के 36 महीने बाद शुरू होगी, जो 2023 में शुरू होने की उम्मीद है। एचएएल हर साल 20 एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना को बना कर देगा, यानि 4 साल में 83 फाइटर एयरक्राफ्ट। अभी फ़िलहाल तेजस फाइटर एयरक्राफ्ट इसरायली ELTA ELM/2052AESA फायर कंट्रोल रडार और अपग्रेडेड सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर के साथ बनाये जा रहे हैं। लेकिन भारतीय वायुसेना की जरूरतों के अनुसार प्रोडक्शन तेजस में एचएएल और डीआरडीओ उत्तम AESA फायर कंट्रोल रडारसे रिप्लेस करने पर राज़ी हो गये हैं।
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HAL भारत की पहली स्वदेशी Astra Mk1 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल को LCA-Tejas Mk1 में इंस्टाल करने की प्रोसेस में है, ताकि ये तेजस M1 और Mk1Aदोनों में ऑपरेशनल किये जा सके। जो दो अलग - अलग डिजिटल फ्लाइट कण्ट्रोल कंप्यूटर और फायर कण्ट्रोल सिस्टम का उपयोग करते हैं। IAF ने मीडियम रेंज ASTRAMk1 बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल के साथ-साथ MBDA द्वारा बनाए ASRAAM क्लोज कॉम्बैट विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल को सेलेक्ट किया है।
रूसी R-73 विज़ुअल रेंज क्लोज कॉम्बैट एयर-टू-एयर मिसाइल को बैकअप मिसाइल की तरह इस्तेमाल किया जाता रहेगा। लेकिन भविष्य में इनको इस्तेमाल किये जाने की कोई योजना नहीं है। ASTRAMK2 और ASTRAMK1A (इन्फ्रा रेड) दो अन्य मिसाइलें हैं, जो 2023 में भारतीय वायुसेना के साथ जुड़ेंगी। वहीं इजरायली डर्बी BVRAAAM मिसाइलइन्टेरिम बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल हैं, जिनका इस्तेमाल तब तक किया जायेगा जब तक ASTRAMK2 और ASTRAMK1A (इन्फ्रा रेड) का मास स्केल प्रोडक्शन शुरू नहीं होता।
बातचीत के लिए पहले भारत रखता था शर्त, अब यही कर रहा है पाकिस्तान, 370 हटने से बदला यह ट्रेंड।
विपक्षी दलों के निशाने पर आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से कश्मीर राग अलापना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर का स्वायत्त दर्जा आर्टिकल 370 को बहाल नहीं कर देता, उससे कोई बातचीत संभव नहीं है। कश्मीर पाकिस्तान में एक ऐसा मुद्दा है, जिसके सहारे नेता जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश करते रहते हैं। मौजूदा समय में इमरान खान के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। आम जनता भी उनकी नीतियों से परेशान हो चुकी है, इसलिए वो कश्मीर राग छेड़कर समर्थन की आस रहे हैं।
पाकिस्तान में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं दूरदर्शन एवं भारतीय डिजिटल रेडियो चैनल।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को इस्लामाबाद में डिजिटल मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर की ऑटोनोमी के बहाल होने तक भारत के साथ बातचीत संभव नहीं है। उनका कहना है भारत को छोड़कर पाकिस्तान के किसी भी देश के साथ शत्रुतापूर्ण संबंध नहीं हैं। भारत पाकिस्तान को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। जब तक कश्मीर में पुरानी स्थिति नहीं लौट आती, हम उससे कोई बातचीत नहीं करेंगे। हालांकि ये बात अलग है कि भारत ने कभी बातचीत के लिए कहा ही नहीं है। दुनिया के कई देशों से पाकिस्तान के रिश्तों में दरार आ गई है। सऊदी अरब इसका सबसे ताजा उदाहरण है।
इससे पहले भी इमरान खान कई बार कश्मीर को लेकर बयानबाजी करते रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी कश्मीर का मुद्दा उठाने का प्रयास किया है, लेकिन हर बार मुंह की खानी पड़ी है। भारत अंतरराष्ट्रीय समाज को साफ कह चूका है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म किया जाना उसका आंतरिक मामला है। इमरान खान ने यह आरोप भी लगाया कि भारत ने कश्मीर की सैन्य घेराबंदी कर दी है।
मोदी सरकार ने चीनी नागरिकों के भारत में घुसने पर लगायी रोक।
भारत और पाकिस्तान के संबंध 2016 में पठानकोट स्थित एयरफोर्स बेस पर हुए हमले और इसके बाद उड़ी में भारतीय सेना के कैंप पर हुए हमले के बाद से ज्यादा खराब हो गए हैं। पुलवामा हमले के बाद जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान में जैश के ट्रेनिंग कैम्पों को नेस्तनाबूद किया, तो पाकिस्तान भड़क उठा। तब से उसने भारत के खिलाफ साजिशें तेज कर दी हैं। घुसपैठ, बिना उकसावे के सीमा पर फायरिंग जैसी घटनाओं से पाकिस्तान उस खीज का बदला निकालना चाहता है, लेकिन भारतीय सेना हर बार उसके मंसूबों पर पानी फेर देती है।
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