भारत के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी । भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतिहास के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुँचा ।
इस देशव्यापी लॉकडाउन में भारत के लिए एक बहुत ही खुशी की खबर आई है । केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हर सप्ताह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का विवरण पेश किया जाता है । इसी सप्ताह के अंत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुँच गया है, जोकि अब 493.48 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर है ।
अंतराष्ट्रीय मुद्रा भंडार के अनुसार, जो संपति किसी देश में छपती या बनती नहीं, लेकिन वह देश उसे अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग कर सके, उसे विदेशी मुद्रा भंडार कहा जाता है । भारत एक बहुत ही विशाल देश है और हमारी जनसंख्या भी उतनी ही विशाल है, इसलिए देश में कई तरह की वस्तुओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत सी वस्तुओं का आयात और साथ ही निर्यात भी होता रहता है । जिन वस्तुओं का आयात विदेश से होता है, उसके लिए हमें रुपये में भुगतान न करके डॉलर में भुगतान करना होता है, क्योंकि अंतराष्ट्रीय व्यापार में भुगतार उसी मुद्रा में हो सकता है, जो व्यापक तौर पर सभी द्वारा मंजूर हो और लगभग सभी देशों में डॉलर ही ऐसी मुद्रा है । इसी कारण से किसी भी देश के पास सबसे अधिक विदेशी मुद्रा का भंडार डॉलर में ही होता है । डॉलर के बाद दूसरा स्थान यूरो का आता है । यदि सभी देशों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार की बात की जाए तो निम्नलिखित पाँच सबसे अधिक देशों की मुद्राओं का भंडार दुनिया के पास है:-
अमरीकी डॉलर 62.7
यूरो 20.2
जापानी येन 4.9
पाउंड 4.5
कनाडाई डॉलर 2.0
ऑस्ट्रेलियाई डॉलर 1.8
जिस किसी के देश के पास जितना अधिक विदेशी मुद्रा भंडार होगा, उस देश की आर्थिक उन्नति भी उतनी ही अधिक होगी । यदि किसी को याद होगा तो 1991 में भारत के पास केवल इतना ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था कि हम केवल दस दिन का ही कच्चा तेल आयात कर सकते थे । फिलहाल भारत के पास अब इतना विदेशी मुद्रा भंडार जमा हो गया है कि इससे अब हम एक साल तक का कच्चा तेल आराम से खरीद सकते हैं । इसी से पता चलता है कि बिना विदेशी मुद्रा भंडार के देश में स्थिति क्या हो सकती है ।
विदेशी मुद्रा भंडार में कुल चार चीज़ें होती हैं । एक तो विदेशी मुद्रा (Foreign currency), दूसरा सोने का भंडार, Special Drawing Rights (SDR) और Reverse Tranche Position (RTP). लेकिन 90% से अधिक यह मुद्रा के रूप में ही होगा । सोने का प्रतिशत 6% से 7% के बीच होता है । RTP की बात करें तो IMF में 2.76% भारत को कोटा है क्योंकि भारत भी IMF के भंडार में योगदान देता है या अपनी विभिन्न मुद्रा को वहाँ जमा किया हुआ है । RTP को या IMF के पास भारत के इस भंडार को भारत कभी भी 25% भारत बिना किसी सूद के मुश्किल समय में वापस ले सकता है । और यदि 25% से अधिक भारत को RTP लेना है तो भारत को उपसपर कुछ सूद देना पड़ेगा । मुद्रा के वापस लेने यानि कि Reverse करने की प्रक्रिया को ही RTP कहते हैं ।
तो इस प्रकार ऊपर बताई सारी बातों को मिलाकर भारत की विदेशी मुद्रा भंडार अब तक के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर है । इस सप्ताह इस भंडार में 3.50 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है । तो कुल 493.48 अरब डॉलर में से 455.21 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा (Foreign currency) है । हालांकि भारत का सोने का भंडार कम हुआ है, जोकि पिछले सप्ताह के मुकाबले 95 मिलियन डॉलर कम है और अब कुल 32.682 अरब डॉलर पर है । यह इस कारण से हुआ है क्योंकि सोने का मूल्य कम ज्यादा होता रहता है ।
भारत के इस बढ़ते मुद्रा भंडार के कई कारण हैं । भारत में मोदी सरकार के आने के बाद से FDI निवेश काफी बढ़ा है । साथ ही विदेशी कंपनियों ने भी बीते कुछ वर्षों में भारतीय शेयर बाज़ार में काफी निवेश किया है । इसके अलावा जब से देश में कोविड 19 महामारी फैली है, तब से भारत ने अधिकतर वस्तुओं का आयात नहीं किया है, जिससे विदेशी मुद्रा को खर्च ही नहीं किया गया है और बहुत सारा डॉलर हमने बचाया है । साथ ही कच्चे तेल की कीमतें जोकि 20 डॉलर प्रति बैरल से भी कम की हो गई थी, उन्हें या तो कम खरीदा गया और जो खरीदा गया वह बेहद ही कम दाम में खरीदा गया । हालांकि अब विश्वभर में लॉकडाउन खुल रहे हैं, और तेल की कीमतें भी अब 40 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर पहुँच गई हैं । कोविड 19 के कारण मार्च माह के बाद से ही रुपये की कीमत तेजी से नीचे गिर रही थी, और 77 रुपये का एक डॉलर हो गया था, वह विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से अब 75.5 रुपये प्रति डॉलर हो गया है ।
दुनिया के छ: देश जिनके पास सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार जमा है, वे निम्नलिखित हैं:-
- चीन 3.91 खरब डॉलर
- जापान 1.37 खरब डॉलर
- स्वीजरलैंड 848 अरब डॉलर
- रूस 563 अरब डॉलर
- भारत 493.48 अरब डॉलर
- ताईवान 484.52 अरब डॉलर
पिछले एक साल में भारत इस सूची में बड़ी ही तेजी से ऊपर आया है । पिछले साल तक भारत इस सूची में करीब दसवें स्थान पर होता था, जोकि अब हम पाँचवे स्थान पर आ गए हैं । इसके अलावा इस सूची में हम सउदी अरब भी ऊपर आ गए हैं, क्योंकि कच्चे तेल की कीमते व मांग दोनों ही पिछले कुछ महीनों में बुरी तरह नीचे गिरी हैं ।
फिलहाल ऐसी आशा जताई जा रही है कि भारत शीघ्र ही 500 अरब डॉलर के जादुई आंकड़े को पार कर रूस से आगे निकल जाएगा क्योंकि रूस भी तेल के व्यापार पर अधिकतर निर्भर करता है, जिसकी बिक्री अभी बहुत कम हो रही है । इसके अलावा भारत ने काफी मात्रा में सस्ता तेल लॉकडाउन के समय में ही खरीद कर सुरक्षित रख लिया था, जोकि अब काम आ सकता है । साथ ही चीन की फैक्टरियों पर ताले लग रहे हैं, जिससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से कम हो रहा है । यहाँ तक की इस सूची में केवल भारत ही ऐसा देश है, जिसका विदेशी मुद्रा भंडार मार्च के बाद से बढ़ा है ।
आशा है कि मोदी सरकार वरिष्ठ मंत्री जैसे सुब्रिमनियम जयशंकर, निर्मला सीतारमण, आदि भारत के इस भंडार को बढ़ाने में और अधिक कारगर सिद्ध होंगे । आशा योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्रियों से भी है, जोकि विदेशी कंपनियों को लुभावने ऑफर देकर भारत में ही वस्तुएं निर्मित तो करना ही चाहती हैं, साथ ही इससे भारत के निर्यात को बढ़ावा देना चाहती हैं ।
Article by SS Raw
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